कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के बाद अब धीरे-धीरे हर आम और खास की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है, लेकिन इंदौर के सराफा बाजार की मुश्किलें अभी भी कम होती नजर नहीं आ रही है, जिसकी वजह है बंगाली कारीगरों का शहर से पलायन कर जाना। दरअसल इंदौर के सराफा बाजार की सैकड़ों दुकानों में सोने-चांदी का व्यापार संचालित किया जाता है, जहां पर गहनों को बनाने के लिए बड़ी संख्या में मजदूर कारीगरों की जरुरत होती हैं। वही इन कारीगरों में सबसे बड़ी संख्या बंगाल के कारीगरों की होती है, जो सालों से इन दुकानों में गहने बनाने का काम कर रहे थे, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में हुए पलायन के बीच इंदौर के सराफा बाजार से करीब 80 प्रतिशत बंगाली कारीगर अपने-अपने गृह जिलों की ओर पलायन कर चुके हैं, जिसके कारण सराफा बाजार का व्यापार अपने सुचारू रूप से वर्तमान में चल नहीं पा रहा है। वही आगे भी इन बंगाली कारीगरों के बिना सराफा के काम को बड़े रूप से प्रभावित होना तय है, वही इन दुकानों में काम करने वाले अन्य कारीगरों का कहना है कि सराफा में बड़ी संख्या बंगाली कारीगरों की होती है जिनके बिना यहां का व्यापार संचालित होना मुश्किल है, लेकिन आगे सुधरते हालत के बीच कारीगरों के वापस आने की उम्मीद है। वही बंगाली कारीगरों की समिति के सदस्यों का कहना है कि वर्तमान में इंदौर कोरोनावायरस का हॉटस्पॉट बन चुका है, ऐसे में अगर कोई कारीगर यहां आता है तो उसे शासन द्वारा तय कड़े नियमों का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें 14 दिन का क्वॉरेंटाइन पीरियड शामिल है। ऐसे में अभी कोई भी बंगाली कारीगर इंदौर में आकर फिर से काम करने को तैयार नहीं है।