अहिल्या स्थान कि सच्चाई ।। Ahilya Sthan ki Sachchai ।। Truth of Ahilya Stham

The Maithil 2020-07-02

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था: ्र्र्र्र्र्र्र्न्ओ्््र्र्से्र्र् जुड़ी कथा: ्रगौतमकुंड के संबंध में कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा स्वयं अपने तीक्ष्ण सात बाणों से धरती को वेध कर सात कुंड बनाये थे, ताकि गौतम ऋषि को स्नान करने के लिए दूर गंगा नहीं जाना पड़े। आज भी वह कुंड वहां विद्यमान है। इसमें श्रद्धालु पवित्र स्नान करना नहीं भूलते। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान इन्द्र और चन्द्रमा की ओर से गौतम ाषि की पत्नी अहिल्या की शुद्धता उल्लंघन करने की कोशिश की गई। अपने आश्रम से इन्द्र को निकलते देख गौतम ऋषि ने अहिल्या और इन्द्र दोनों को श्रापित किया। अहिल्या की ओर से अपनी व्यथा बताए जाने पर गौतम ऋषि ने उसे उद्धार का रास्ता भी बता दिया। त्रेता में भगवान श्रीराम जनकपुर जाने के क्रम में अहिल्या का उद्धार किया। उद्धारस्थल अहियारी गांव में अवस्थित है। उद्धारस्थल अहिल्यास्थान के नाम से जगत प्रसिद्ध है। गौतमकुंड और अहिल्यास्थान दोनों मिथिला का महत्वपूर्ण पौराणिक पर्यटनस्थल है।

हनुमान जी का ननिहाल भी है गौतमकुंड: श्रीराम भक्त हनुमान महर्षि गौतम व अहिल्या की पुत्री अंजना के पुत्र हैं। इसलिए ब्रह्मपुर को हनुमान जी का ननिहाल भी कहा जाता है। महाराज जनक के पुरोहित शतानंद भी महर्षि गौतम और अहिल्या के पुत्र थे। शतानंद ने श्री रामविवाह का पौरोहित्य किया था। गौतमकुंड में डा. विजय भारद्वाज के नेतृत्व में जन सहयोग से लगभग डेढ़ करोड़ की राशि से बना नया मंदिर आकर्षण का केंद्र है।

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