जयपुर। राजस्थान के हर जिले में सरकार की ओर से बनाए भवनों में अल्पसंख्यक छात्रावास संचालित करने की घोषणा 7 सालों से कागजों में ही घूम रही है। हर जिला मुख्यालय पर अल्पसंख्यक बालक—बालिकाओं के लिए अलग—अलग छात्रावासों की योजना अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी है। पिछली कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में 23 अल्पसंख्यक बाहुल विकास खंडो में अल्पसंख्यक बालक बालिकाओ के लिए अलग—अलग छात्रावास भवन निर्माण के लिए 56 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की थी।
अभी हैं सिर्फ 3 सरकारी भवन
अल्पसंख्यक मामलात विभाग के तहत चलाए जाने वाले ये छात्रावास सरकारी भवनों में चलाए जाने थे। लेकिन सात सालों में सिर्फ तीन जगहों पर ही सरकार भवन बनवा पाई है। जयपुर में 100 की क्षमता वाला बालिका छात्रावास, जोधपुर और बीकानेर में 50—50 की क्षमता वाले एक—एक बालक छात्रावास हैं। जबकि हर अल्पसंख्यक बाहुल इलाके में यह दो—दो छात्रावास भवन बनाए जाने थे। एक छात्राओं के लिए और दूसरा छात्रों के लिए। वहीं चौथा छात्रावास फतेहपुर शेखावाटी में बनना प्रस्तावित था।
अभी स्वयं सेवी संस्थाओं के भरोसे
अभी राज्यभर में चल रहे अल्पसंख्यक छात्रावास स्वयं सेवी संस्थाओं के भरोसे हैं, हालांकि अल्पसंख्यक मामलात विभाग की ओर से इन्हें सालाना नॉमिनल किराया दिया जाता है, लेकिन इन निजी भवनों में छात्र—छात्राओं को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं।
जानकारी के अभाव में खाली रहती हैं सीटें
जयपुर के मानसरोवर स्थित बालिका अल्पसंख्यक छात्रावास में 100 सीटें हैं। इतनी कम संख्या में सीटें हैं, इसके बाद भी ये पूरी नहीं भर पाती। जबकि राजधानी में पढ़ने वाली छात्राओं की संख्या इसकी तुलना में कहीं ज्यादा है। वहीं अलवर, भरतपुर में स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से चलाए जा रहे छात्रावासों में सीटें भर जाती हैं, लेकिन अधिकांश विकास खंडों में चल रहे छात्रावासों में सीटें खाली ही रहती हैं।
विभाग ने संचालन के लिए जारी की विज्ञप्ति
हर जिले में इन छात्रावासों के संचालन के लिए हर साल अल्पसंख्यक मामलात विभाग की ओर विज्ञप्ति जारी कर स्वयं सेवी संस्थाओं से प्रस्ताव मांगती है। नए सेशन 2020—21 के लिए विभाग ने प्रस्ताव मांगे हैं। इसके तहत 32 जिला मुख्यालयों पर बालक छात्रावासों के लिए और 30 जिला मुख्यालयों पर बालिका छात्रावास संचालित करने के प्रस्ताव मांगे गए हैं। अल्पसंख्यक बाहुल ब्लॉक पर 20 बालक छात्रावास और 18 अल्पसंख्यक बाहुल ब्लॉक पर बालिका छात्रावासों के लिए प्रस्ताव मांगे गए हैं। इन स्वयंसेवी संस्थाओं को हर साल नए सिरे से आवेदन भरने पड़ते हैं।