The Char Dham Yatra is considered very sacred in Hinduism. It is also written in the Puranas that salvation in Kali-yuga will be attained only by going to Lord Jagannath's refuge. The beautiful and magnificent temple of Lord Jagannath is built in the city of Puri in the state of Odisha. It is about 60 kilometers from Bhubaneswar. It is the sea on all three sides of the beautiful and supernatural city. Here every day thousands of devotees come to see God. By the way, every year in the month of July, Lord Jagannath comes on his own chariot to meet his devotees and comes to meet them. But this time there is good news for his devotees that Lord Jagannath's Rath Yatra has started on 23rd of June. But to avoid the havoc of the Corona epidemic, it is extremely important to follow certain rules during the Rath Yatra. The journey of Lord Jagannath has many stages. The chariot is stopped by devotees from place to place as soon as their journey begins. People are blessed by seeing God. His story is very interesting. So let's know about them ...
हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा को बहुत ही पवित्र माना जाता है। पुराणों में भी लिखा है कि कलयुग में मोक्ष भगवान जगन्नाथ की शरण में जाने से ही मिलेगा। भगवान जगन्नाथ का सुंदर और भव्य मंदिर ओडिशा राज्य के शहर पुरी में बना है। यह भुवनेश्वर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर बना है। यह सुंदर और आलौकिक शहर के तीनों ओर समुद्र है। यहां हर दिन हजारों की दातार में भक्त भगवान के दर्शन करने आते है। वैसे तो हर साल जुलाई महीने में भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों से मिलने रथ पर सवार होकर खुद ही उन्हें मिलने आते है। मगर इस बार उनके भक्तों के लिए खुशखबरी है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 23 जून यानि आज ही शुरू हो गई है। मगर कोरोना महामारी के कहर से बचने के लिए इस बार रथयात्रा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी हैं। भगवान जगन्नाथ की यात्रा के कई पड़ाव होते है। इनकी यात्रा शुरू होते ही जगह-जगह पर भक्तों द्वारा रथ को रोका जाता है। लोगों द्वारा भगवान के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। इनकी कहानी बहुत ही रोचक है। तो चलिए जानते है इनके बारे में...
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