'विशेष अवसरों पर दीवारों पर की जाती है वर्ली पेंटिंग'

Patrika 2020-06-16

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जयपुर। जवाहर कला केंद्र के 'ऑनलाइन लर्निंग - चिल्ड्रन्स समर फेस्टिवल' में ऑनलाइन लर्निंग सेशन के तहत महाराष्ट्र के कलाकार अनिल वांगड़ ने 'वर्ली पेंटिंग' सेशन का संचालन किया। आर्ट सेशन में कलाकार ने वर्ली पेंटिंग की मूल जानकारी और गावों की जीवन शैली का विवरण दिया।

सेशन की शुरुआत में कलाकार ने 'वर्ली पेंटिंग' के बारे में बताया कि यह आदिवासी कला शैली है, जो सामान्यतः भारत की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक वर्ली जनजाति ही बनाती है। वर्ली पेंटिंग्स में मुख्य रूप से प्रकृति और उसके तत्वों को दर्शाया जाता है। इस जनजाति की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि है। वे संसाधन प्रदान करने के लिए प्रकृति और वन्य जीवन का आदर करते हैं। वृत्त, त्रिकोण, वर्ग के साथ-साथ डॉट्स और लाइनों जैसे बुनियादी ज्यामितीय आकृतियों का उपयोग करते हुए, इन पेंटिंग्स में शिकार करने, मछली पकड़ने और खेती के साथ-साथ पेड़ों एवं जानवरों जैसी रोजमर्रा की गतिविधियों को दर्शाया जाता हैं। उन्होंने बताया कि ये लोग आमतौर पर विभिन्न प्रकार के त्योहारों और नृत्यों को भी चित्रित करते हैं।

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