बड़े पूंजी वालों को खेती सौंपने के लिए लाए जा रहे कानून : रामपाल जाट

Patrika 2020-06-14

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प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर व्यक्त किया दर्द, कोरोना काल में एक और कहर
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कृषक उपज व्यापार और
वाणिज्य संवर्धन एवं सुविधा अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान सशक्तिकरण और
सुरक्षाद्ध समझौता अध्यादेश 2020 को वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री से पत्र लिखा है। जाट ने काि कि इन अध्यादेशों
को लाने का केंद्र सरकार का मंतव्य एवं प्रयोजन सही नहीं है । इनके लिए सरकार ने जो तर्क दिए हैं, वे निराधार हैं, सरकार के अनुसार इन अध्यादेशों से किसानों को उनकी उपजों को देश भर में बेचने की छूट प्राप्त होगी। कृषि उपजों के विक्रय पर किसानों को किसी भी प्रकार के कर, उपकर या शुल्क नहीं देने पड़ेंगे, सरकार का यह तर्क वास्तविकता से हट कर है। इसके पूर्व भी किसानों को अपनी उपजों को देशभर में बेचने की छूट थी तथा उनके विक्रय पर किसी भी प्रकार के करए उपकार या शुल्क देने की आवश्यकता नहीं थी।
उन्होंने पत्र में लिखा कि सरकार ने बड़ी पूंजी वालों को राज्यों द्वारा बनाए गए कानूनों की परिधि से बाहर कर दिया, उनके द्वारा देय सभी प्रकार के कर, उपकार एवं शुल्कों से मुक्ति दे दी । इसी प्रकार उनको सम्पूर्ण देश में कृषि उपजों के क्रय.विक्रय करने पर छूट दे दी। इतना ही नहीं संग्रहण सीमा को समाप्त करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में प्रावधान कर दिए, उन्हें कृषि उपजों के असीमित भंडारण के लिए सुविधा प्रदान कर दी। इन सब प्रावधानों के परिणाम स्वरुप कृषि उपजों के व्यापार को हथियाने के लिए बड़ी पूंजी वालों को अवसर दे दिया। इसका देश में विरोध नहीं हो इसलिए कोरोना काल ही में यह कहर ढाया गया। किसानों को गारंटीड मूल्य की चर्चा कर उचित मूल्य प्राप्ति का आश्वासन देने का प्रचार किया जा रहा है,जबकि इन कानूनों में गारंटीड मूल्य एवं उचित मूल्य प्राप्ति के आश्वासन के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
रामपाल जाट द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार देश में 86.6 फीसदी किसानों की जोत का अकार 2 हेक्टेयर से कम
है, वहीं देश की जोत का औसत आकार 1.15 हेक्टेयर है। इन परिस्थितियों में देश में विकेंद्रीकृत व्यवस्था अधिक
कारगर है । केंद्र सरकार को सभी प्रकार की उपजों की सम्पूर्ण खरीद की गारंटी का कानून लाना चाहिए लेकिन सरकार इसके विपरीत बड़े पूंजी वालों को कृषि उपजों के व्यापार पर एकाधिकार सौंपने के लिए कानून बना रही है।

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