कोरोना काल में अपनी जान के संकट से जूझ रहे आम आदमी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही. लंबे लॉक डाउन और आर्थिक तंगी के बीच महंगाई भी अपना असर दिखा रही है. रसोई गैस के दाम बढ़ गए हैं. बच्चों की स्कूल फीस बैंक की किस्त और बिजली-पानी के बिलों की चिंता कर रहे कॉमन मैन के माथे की लकीरें रसोई का बिल बढ़ने से और गहरी हो गई है .निम्न वर्ग के लिए तो सरकार ने राहत की घोषणा कर दी और समाज के अमीर तबके को महंगाई से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता. लेकिन मध्यमवर्गीय लोगों की स्थिति बहुत खराब हो गई है. उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं देश चलाने वाले नेताओं को जनता के दुख से कोई मतलब नहीं है.बल्कि नेताजी को लगता है कि जब आम आदमी के पास घर में राशन ही नहीं है तो फिर उसे रसोई गैस की क्या जरूरत. आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त कर रहा है कार्टूनिस्ट सुधाकर का यह कार्टून