कोरोना की महामारी में बहुत से गाँव वालों का काम छिन गया। कानपुर शहर के इर्द गिर्द के गाँव, से हजारों आदमी जो हर रोज़ शहर आकर काम करता था या कुछ पैदावार बेचकर घर चलाने का खर्चा लेकर लौटता था, आज घर पर ही पड़ा है। बहुत से जवान लड़के दूर दराज़ के शहरों से भी लौट रहे हैं। पता नही कब कारखाने फिर चलेंगे और बाज़ार रफ्तार पकड़ेगी, यह चिंता उनकी चेहरों पर साफ नज़र आती है। इसी बेबसी के माहौल में आई आई टीयन्स की एक टीम ने बिठूर के उन गावों का भ्रमण किया जिन्हे उन्नत भारत अभियान के तहत आई आई टी कानपुर ने गोद ले रखा है। सिलाई करने वाली महिलाओं को मास्क बनाने का ऑफर दिया गया। आई आई टी के मास्क विशेष फ़िल्टर युक्त थे,और डिज़ाइन ऐसी थी कि नाक और मुःह को N95 मास्क की तरह ढकती थी। इस मास्क को तैयार करने के लिए सिलाई में दक्ष महिलाओं की जरूरत थी। पाँच गाँव में अलग अलग जगह सैंपल बनाने को दिये गए। अंत में इस काम के लिए चुना गया प्रिया को जो ईश्वरीगंज गाँव में सिलाई केंद्र भी चलाती है। उससे तरह तरह के सैंपल तैयार कराये गए, और धीरे शीरे एक पर्फेक्ट मास्क बन कर तैयार हुआ। अब निश्चय किया गया कि यह मास्क आई आई टी कानपुर में बाटे जाएंगे। यह भी तय हुआ कि डिमांड होने पर प्रिया बाहर भी सप्लाइ कर सकेगी । किन्तु लॉक डाउन में मैटेरियल लेना भी एक चुनौती थी। उस समय आई आई टी के साथ खड़े हुआ परिवर्तन के सदस्य। उन्होने अपने फैक्ट्री स्टॉक में रखे कपड़े और अन्य सामान उपलब्ध कराये और हौसला दिया प्रिया व अन्य ग्रमीण महिलाओं को प्रेरित किया और साथ ही समस्त स्टाफ़ सहयोग करेगा।