देश के तमाम राज्यों से मजदूर पैदल, साइकिल, रिक्शा, ट्रक, ट्रैक्टर और ट्राला तक में बैठकर अपने गांव पहुंच रहे हैं। जिनको ये सब नहीं मिला वो साइकिल और रिक्शे से ही अपने गांव के लिए निकल पड़े। सरकार ने जब ये देखा कि इन मजदूरों को रोक पाना मुश्किल हो रहा है उसके बाद ही श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की नीति बनाई गई और इन मजदूरों को उनके गांव छोड़ना तय किया गया।
अब आलम ये हो गया है कि जब से ये प्रवासी मजदूर अपने गांवों को पहुंच रहे हैं उसके बाद से कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में भी इजाफा होता जा रहा है। इनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। देश के कुछ प्रमुख राज्यों में तो अचानक से मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। कई जिले जहां अब तक कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या इकाई में थी, वहां अब एक दिन में ही दर्जनों लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। राज्य सरकार के मुताबिक, श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों से अब तक बीस लाख लोग अपने घरों को वापस लाए जा चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, दूसरे राज्यों से आए लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं जोकि राज्य में कुल कोरोना संक्रमित मरीजों का करीब एक चौथाई है। यह स्थिति तब है जबकि बड़ी संख्या में अभी लोग लौट रहे हैं और जो लौटे भी हैं उनमें से ज्यादातर अभी क्वारंटीन में हैं और कोविड टेस्ट बहुत कम संख्या में हुए हैं। यहां सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि तमाम छोटे शहरों में जहां अब तक संक्रमण की रफ्तार बेहद कम थी, वहां हर दिन ज्यादा संख्या में लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। एक बात ये भी बताई जा रही है श्रमिक ट्रेनों, सरकारी बसों और अन्य वैध साधनों से आने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा ऐसे लोग हैं जो विभिन्न तरीकों से अपने आप ही अन्य राज्यों से चले आए। इनमें से कुछ तो क्वारंटीन सेंटरों में गए लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं जो सीधे तौर पर अपने घरों और गांवों में पहुंच गए।