कश्मीर में आजादी की बात करने वाले लोग भारत विरोधी वैश्विक ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं। यह बात रॉ के पूर्व निदेशक कर्नल आरएसएन सिंह ने रविवार को यहां होटल शेल्टर में ग्लोबल जेहाद व कश्मीरी आतंकवाद विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कही। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने कहा कि दुनिया भर के इस्लामिक संगठन धीरे-धीरे आईएसआई में समाहित हो रहे हैं। ऐसे में भारत को चारों तरफ से खतरा है। इस खतरे को न केवल सरकारें बल्कि समाज आैर नागरिक भी नजर अंदाज कर रहे हैं। जेएनयू में उठने वाली आवाज इसकी एक झलक भर थी।
वी द इंडिया द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कश्मीर से आए लेफ्टिनेंट जनरल पीएस मेहता ने कहा कि समय-समय पर सरकारों से भी भारी भूल होती रही है। इसके चलते कश्मीर में आतंकवाद एक उद्योग बन गया है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व महासचिव पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि म्यांमार से आए 10 हजार रोहण्या मुसलमान कैसे कश्मीर पहुंचे, जहां उन्हें आर्टिकल 35(ए) के तहत आधार कार्ड व अन्य पहचान देकर नागरिकता दे दी गई। लेकिन वहां वर्षों से रहने वाले 7 लाख हिन्दुओं पर किसी का भी ध्यान नहीं है।
उन्होंने कहा कि 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने किसी से नहीं पूछा और वाशिंगटन से विश्व में इस्लामिक आतंकवाद खतरे की बात कर अफगानिस्तान के कई इलाकों को जमीदोंज कर दिया और भारत में 26/11 हमले के बाद अभी भी बहस जारी है और लोग हमले पर किताब लिख रहे है, जिनके अनावरण में फिल्मकार महेश भट्ट व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जैसे नेता शामिल हो रहे है। उन्होंने देश की राजनीति व न्यायालयीन व्यवस्था को सवालों के घेरे में लेते हुए कहा कि हमारा दुश्मन कौन है, ये हम पहचान ही नहीं पा रहे है। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त डीआईजी हरिसिंह यादव ने की। संस्था अध्यक्ष अश्वनी गुप्ता सहित अन्य पदाधिकारी, समाजसेवी मौजूद थे।