परम्परागत तरीके से गन्ने की खेती.....

Patrika 2020-05-16

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ग्रामीण परिवेश में गन्ना की खेती नगदी फसल के रूप में मानी जाती हैं। इसको कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है । गन्ने से चीनी, गुड़, शक्कर और शराब का निर्माण किया जाता है।किसान आज भी परम्परागत तरीके से गन्ने की खेती करते हैं।वैसे आज के दौर में कई नई किस्में और विधियां आ गई हैं,जिनसे गन्ने की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है। खास बात है कि इसके पौधे पर विषम परिस्थितियों का कोई ख़ास असर नहीं पड़ता है। शायद इसी वजह से गन्ना की खेती एक सुरक्षित और लाभदायक फसल मानी गई है। जजावर कस्बे सहित आसपास के क्षेत्र में गन्ने की बुवाई किसानों ने शुरू कर दी है।

टुकड़े काटकर होती है बुवाई .

गन्ने की फसल रोपने में भी रोचक बात है । किसान मांगी लाल ने बताया कि इसका कोई बीज नहीं होता। गांंठों को ही जमीन में रोपा जाता है। हम परम्परागत तरीके से बैलों को जोतकर हल द्वारा गन्ने की बुवाई की कर रहे हैं।भले ही मशीनी युग आ गया, लेकिन परम्परागत खेती के मायने ही अलग है।

ये हैं गन्ने की प्रमुख किस्म

.डिस्को, कालयो, रसगुल्ला, सकरियो आदि किस्म के गन्ने क्षेत्र में प्रमुखता से बोया जाता है। इनमें रसगुल्ला किस्म की डिमांड अधिक रहती है, क्योंकि इस किस्म के गन्ने में रस अधिक निकलता है और इसके गुड़ का रंग भी साफ रहता है।

मजदूरों की होती हैं अधिक आवश्यकता . किसानों ने बताया कि यों तो गन्ने की फसल आर्थिक लिहाज के हिसाब से अन्य फसलों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर है, लेकिन गन्ने की फसल में मजदूरों की आवश्यकता अधिक होती है। जिस वजह से कई किसानों ने इस फसल से किनारा कर लिया। अब कुछ ही किसान गन्ने की फसल की पैदावार करते हैं। पहले क्षेत्र में गन्ने की फसल किसानों की प्रमुख फसल होती थी।

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