विशाखापट्टनम में जहरीली गैस से 8 की मौत, हजारों प्रभावित
3 दिसंबर 1984 की सुबह भोपाल में एक बड़ी त्रासदी लेकर आई थी। यहां यूनियन कार्बाइड से गैस के रिसाव के बाद सरकारी आंकड़ों के अनुसार 4 हजार लोगों की मौत हो गई, जबकि यह मौतें 16 हजार बताई जाती हैं। आज एक बार फिर कुछ ऐसी ही घटना सामने आई । 7 मई की सुबह 3 बजे आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम स्थित एलजी पॉलिमर्स इंडस्ट्री से गैस का रिसाव शुरू हुआ। धीरे—धीरे इसके तीन किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों का दम घुटना शुरू हुआ। लोगों को आंखों में जलन और घबराहट महसूस हो रही है। लोग नींद से जागते ही अस्पतालों की ओर भागते नजर। प्रशासन संभलता, तब तक एक बच्चे सहित 8 लोगों की मौत हो चुकी थी। हालांकि सुबह 7 बजे तक 50 एंबुलेंस यहां लगा दी गई, जो इस गैस पीड़ितों को अस्पताल पहुंचा रही हैं। सुबह दस बजे तक स्थानीय अस्पतालों में एक हजार से ज्यादा गैस पीड़ितों को भर्ती करवा दिया गया है। इनमें सैकड़ों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। अभी भी इस गैस रिसाव की चपेट में आए सैकड़ों लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। प्लांट के आसपास के इलाकों में अफरा—तफरी का माहौल है। प्रशासन ने गंभीरता को देखते हुए नौसेना की सहायता से इलाके के पांच गांवों को खाली करा दिया है। बड़ी संख्या में इस गैस त्रासदी की चपेट में लोगों के आने के बाद पीएम मोदी ने इस घटना का संज्ञान लिया। उन्होंने ट्वीट किया- मैं सभी की सुरक्षा की कामना करता हूं। गृह मंत्रालय और आपदा प्रबंधन के अधिकारियों से बात हुई है। वो लगातार नजर बनाए हैं।
वहीं आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगमोहन रेड्डी खुद इस पूरी घटना पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने बचाव कार्य तेजी से करने के निर्देश दिए हैं।
हालांकि स्थानीय पुलिस का दावा है कि रिसाव पर अब काबू पा लिया गया है। फिलहाल एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंच चुकी है। पुलिस के मुताबिक घटना के बाद एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस घटना के कारणों की जांच में जुटी है। घर—घर जाकर पीड़ितों को अस्पताल के लिए ले जाया जा रहा है। ताकि हर पीड़ित को इलाज मिल सके। यहां के किंग जॉर्ज अस्पताल में कई लोगों को भर्ती कराया गया है। मरीजों की संख्या बढ़ने पर कई प्राइवेट अस्पतालों से मदद ली जा रही है। ज़िलाधिकारी ने बताया है कि यह दुर्घटना तब हुई जब लॉकडाउन के बाद फिर से प्लांट में काम शुरू किया गया।