कोरोना वायरस के इस खतरनाक दौर में जब लॉकडाउन लगा हुआ है तब कहीं आने जाने में इम्युनिटी पासपोर्ट मदद करेगा। इम्युनिटी पासपोर्ट का नाम सुन कर आप चौंक अवश्य गए होंगे। आप ने कई तरह के पासपोर्ट के बारे में सुना होगा पर इम्युनिटी पासपोर्ट शायद नहीं सुना होगा। आजकल देश विदेश के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इम्युनिटी पासपोर्ट पर काम हो रहा है। किंग जार्ज मेडिकल विश्व विद्यालय, राममनोहर लोहिया और संजय गांधी पीजीआई एंटी बाडी जांच शुरू करने की कोशिश में लगे हैं। सफलता की चरण में आगे बढ़ रहे हैं।
अब पहले जरा आप जाने लें कि एंटी बाडी क्या होता है। शरीर में हमेशा कोई न कोई वायरस हमला करता रहता है। तो एंटी बाडी उसका मुकाबला करता है और अगर वह हार जाता है तो आप बीमार पड़ जाते हैं और अगर वह हावी नहीं हो पाता है तो वायरस अपना मुंह लटका कर अन्य किसी कमजोर एंटी बाडी वाले व्यक्ति की तलाश करता है।
ऐसे ही कोरोना वायरस के संक्रमण समय होता है अब अगर वह हमला करता है और आपके अंदर की मजबूत एंटी बाडी उससे लड़कर उसका खत्मा करने की क्षमता रखती हैं तो निश्चित ही आपका इम्युनिटी सिस्टम मजबूत माना जाता है। बस फिर क्या है यह एंटीबॉडी आपके सफर पर जाने और आने का इम्युनिटी पासपोर्ट बन जाती हैं। दूसरे अर्थों में समझ सकते हैं कि इम्युनिटी पासपोर्ट या रिस्क फ्री सर्टिफिकेट उन लोगों को जारी किए जाने की योजना है, जो कोरोनावायरस से जीतकर ठीक हो चुके हैं, उन्हें ये इस आधार पर जारी किए जाने का प्लान है कि ठीक हो चुके लोगों में एंटीबॉडीज पर्याप्त मात्रा में विकसित हो चुके हैं और वे रीइन्फेक्शन से सुरक्षित हैं, लिहाजा वे ट्रैवल करने या काम पर वापस लौटने में सक्षम हैं।