क्या वाकई कोरोना के साथ जीना सीखना होगा?

Patrika 2020-05-03

Views 62

भारत तीसरे लॉकडाउन से गुजर रहा है। हालांकि ग्रीन जोन में काफी रियायतें दी गई हैं, लेकिन कोरोना वायरस का डर इतना है कि लोग अपने रूटीन वर्क के साथ आने में डर रहे हैं। हालांकि इस डर के चलते कई जगह आर्थिक संकट भी सामने खड़ा है। कोरोना को लेकर दुनियाभर से आ रही खबरों पर हर किसी की नजर है। अमरीका जैसे महाशक्ति कहे जाने वाले देश इस वायरस के आगे घुटने टेक चुके हैं। ऐसे में लोगों में इसे लेकर डर साफ नजर आ रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक यह भी कह चुके हैं कि इस वायरस से बचाव के वैक्सीन के लिए अभी कुछ महीने या साल इंतजार करना पड़ सकता है। वहीं इससे ठीक होने की कोई खास दवा भी ईजाद नहीं ​की जा सकी है। इन सभी के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन घोषणा कर चुका है कि अभी इस वायरस से पूरी तरह से बच पाना नामुमकिन है। दुनिया के लोगों को इस वायरस के साथ जीने की आदत डालनी होगी। डब्ल्यूएचओ के महासचिव कह चुके हैं कि इस वायरस से अभी कई महीनों तक अपने बचाव के उपाय लोगों को करना होगा। इसके लिए उन्हें अपने रुटीन में बदलाव लाना होगा। वहीं मास्क और सेनेटाइजर अब हर जीवन में जरूरी आदत के तौर पर शामिल होगा। अब जीवन का न्यू नॉर्मल इस वायरस से बचने के उपायों को रुटीन में शामिल करना ही है। सोशल डिस्टेंसिंग और क्वारंटीन भी इस नई जिंदगी का हिस्सा होंगे। यही एकमात्र उपाय है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन और कई वैज्ञानिक बता चुके हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक अब यह वायरस लंबे समय तक हमारे जीवन में रहने वाला है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके लिए दुनिया के देशों को चेतावनी भी जारी कर दी है। हालांकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कई देश अब भी इस वायरस से लम्बे समय तक लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। दुनिया के 76 प्रतिशत देश ही ऐसे हैं, जहां इस वायरस को डिटेक्ट करने का एक पूरा सिस्टम तैयार है। सबसे जरूरी होगा पब्लिक प्‍लेसेज पर वायरस को फैलने से रोकना। इसके लिए सोशल डिस्‍टेंसिंग के अलावा रूटीन चेकअप्‍स भी जरूरी होंगे। टूरिस्‍ट्स की स्‍क्रीनिंग, थर्मल चेकअप भी ओपन स्पेसेज में जरूरी हो जाएंगे।
इन सभी चेतावनियों के बीच दिल्ली के मुख्यमं​त्री ने अरविंद केजरीवाल ने आम लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जागरूक रहने का आहवान किया है। उनका कहना है कि दुनियाभर के शोध बता रहे हैं कि हमें लॉकडाउन के बाद का जीवन भी इस वायरस के बचाव को रुटीन में शामिल कर जीना होगा। यानी वायरस के साथ जीना हमारे लिए न्यू नॉर्मल होगा। उनका कहना है कि सरकारें व्यवस्थाएं कर सकती हैं, लेकिन जब तक जनता मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को लेकर अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेगी, तब तक जिंदगियों पर वायरस का खतरा रहेगा।

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS