5 मई को मंगल अपनी उच्च राशि को छोड़कर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिषियों की माने तो शनि और मंगल के एक ही राशि मकर में एक साथ आने से कोरोना वैश्विक महामारी की आपदा आई है। मंगल का अपनी उच्च राशि मकर में 23 मार्च को प्रवेश हुआ था। यह कष्ट कारक रहा। 5 मई को मंगल का प्रवेश कुंभ राशि में होगा। इसके बाद कुछ राहत प्रारंभ होगी। आरोग्यता बढ़ेगी। 20 जून तक मंगल कुंभ राशि में ही रहेंगे। इसके बाद मंगल का प्रवेश मीन राशि में हो जाएगा। यह विशेष लाभदायक होगा। इससे वायरस काफी हद तक कमजोर हो जाएगा।
शनि और मंगल एक साथ यानि अकाल, महामारी और युद्ध के योग
ज्योतिषाचार्य पं. राजकुमार चतुर्वेदी ने बताया कि वर्तमान में शनि और मंगल एक साथ मकर राशि में हैं जिस कारण से यह भयंकर आपदा बनी हुई है। 5 मई को दोपहर 2.15 बजे मंगल मकर से कुंभ राशि में चले जाएंगे और इसके साथ ही इस भयंकर आपदा का शमन भी शुरू हो जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि और मंगल अगर एक साथ हो तो युद्ध, अकाल, अतिवृष्टि, महामारी का योग बनता है। इस महामारी से मुक्ति दिलाने के लिए सभी लोगों को घर पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। भगवती जगदम्बा की आराधना करने से इस आपदा से मुक्ति मिलेगी। शास्त्री ने बताया कि 100 वर्षों के अंतराल में महामारी का प्रकोप होता है।
धार्मिक कार्यो में भी रुकावट, जुलाई में होगा समाधान
ज्योतिष के अनुसार गुरु ग्रह धर्म का प्रतीक, ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं गुरु के नीच राशि यानी मकर में प्रवेश होने से धर्म कार्य में रुकावट करता है। गुरु ने 19 मार्च को मकर राशि में प्रवेश किया था, इसमें 18 जुलाई तक वह रहेगा। इस अवधि के दौरान धार्मिक कार्यक्रमों में न्यूनता रहेगी। गुरु 18 जुलाई से 8 नवंबर तक अपनी स्व धनु राशि में पुन: आ जाएंगे। इस बार पहली दफा यह देखने को भी मिला। पहली बार प्रदेश भर में बीस हजार से भी ज्यादा शादियां रद्द कर दी गई। बैसाख जैसे पावन महीने में ग्रह प्रवेश, मुंडन कार्य समेत समस्त शुभ कार्य वर्जित हो गए। महामारी ने धर्म का रास्ता भी रोक दिया।