दुनियाभर के देश जहां कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहे हैं, वहीं कई देशों में भुखमरी भी बढ़ती जा रही है। दुनिया के ज्यादातर देश इस समय लॉकडाउन से गुजर रहे हैं, ऐसे में मजदूर वर्ग सड़कों पर भूखा है। इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर की है।
संयुक्त राष्ट्र के निकाय विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने इस पर दुनिया के सभी देशों को भुखमरी पर ध्यान देने का आह्वान किया है। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा है कि एक ओर हम कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं और दूसरी ओर भुखमरी की महामारी की चपेट में कई देश आने वाले हैं। उससे पहले ही वे देश अपनी जनता की भूख का उपाय कर लें। वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने यह भी कहा कि कई देशों में जन सेवाओं की आपूर्ति में भेदभाव किया जा रहा है। वहीं इन दो महामारियों से लड़ने की बजाय नफरत फैलाने वाले वक्तव्य बढ़ गए हैं, संवेदनशील समूहों पर हमले बढ़े हैं। यह बातें देश को कमजोर करती हैं और कमजोर वर्ग की भूख को अनदेखा किए जाने की वजह भी बनती है। संयुक्त राष्ट्र के संगठन विश्व खाद्य कार्यक्रम ने आगाह किया है कि दुनिया भुखमरी के कगार पर खड़ी है। समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाए गए कुछ ही महीने में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में भारी इजाफा हो सकता है। और यह त्रासदी कोरोना से बड़ी भी हो सकती है। अब तक कई देशों में भूख से मौतें होना शुरू हो गई हैं। लेकिन उसके आंकड़े सामने आना अभी बाकी है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डेविड बीस्ले ने अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा अनुरक्षण: संघर्ष से उत्पन्न भूख से प्रभावित आम नागरिकों की सुरक्षा विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सत्र के दौरान कहा कि कोरोना के साथ एक दूसरी महामारी की शुरुआत हो चुकी है। दुनिया भुखमरी के लिए तैयार रहे।
उन्होंने कहा कि अभी अकाल नहीं पड़ा है, लेकिन मैं आपको आगाह करना चाहूंगा कि अब अगर हमने तैयारी नहीं की और कदम नहीं उठाए तो आगामी कुछ ही महीनों में हमें इसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। इससे निपटने के लिये हमें फंड जुटाने के साथ ही आर्थिक नीतियों के लिए कदम उठाने होंगे। आर्थिक नीतियां ऐसी हों, जिसमें हर गरीब या मजदूर को भोजन निश्चित किया जा सके।
बीस्ले ने कहा कि कोरोना के चलते दुनिया वैश्विक महामारी ही नहीं बल्कि मानवीय सकंट का भी सामना कर रही है। यह मानवीय संकट आने वाले दिनों में और भी मुश्किलें पैदा करेगा। विकासशील और संघर्षरत देशों के नागरिक इसकी चपेट में आएंगे। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में हर रात 82 करोड़ 10 लाख लोग भूखे पेट सोते हैं। इसके अलावा 13 करोड़ 50 लाख लोग भुखमरी या उससे भी बुरी स्थिति का सामना कर रहे हैं। इसी साल के मध्य तक भले हम कोरोना से जीत लें, लेकिन इसी साल के अंत तक भुखमरी के शिकार लोगों में 13 करोड़ ही और जुड़ जाएंगे। यानी यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। इस पर नियंत्रण के लिए देशों को रणनीति बना लेनी चाहिए। लेकिन इस रणनीति के लिए जरूरी है कि देश अपने यहां हो रही नफरत की राजनीति को खत्म करें, ताकि हर किसी का ध्यान भूखे लोगों पर जाए और ज्यादा से ज्यादा लोग भूखों को भोजन मुहैया करवाने के लिए आगे आए। दुनिया में सामूहिक प्रयासों के बिना हम भुखमरी की महामारी से नहीं लड़ सकते।