दीनदयाल उपाध्याय के मरने के बाद जनसंघ की कमान अटल बिहारी वाजपेयी के हाथ में आ गई थी. करीब चार साल अध्यक्ष रहने के बाद उन्होंने पार्टी की कमान सौंपी अपने भरोसेमंद मित्र लालकृष्ण आडवानी को. उस समय तक जनसंघ में खेमेबाजी काफी तेज हो गई थी. 1973 में कानपुर में जनसंघ का अधिवेशन हुआ. बलराज मधोक ने यहां एक नोट पेश किया. इस नोट में जनसंघ के आर्थिक दृष्टिकोण से उलट बातें कही गई थीं.
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