चूरू. वैश्विक महामारी से लडऩे के लिए पूरा देश एकजुट है। इसमें सरकार से लेकर प्रशासन या आमजन हर व्यक्ति इससे लड़ रहा है। इस दौर में हमारे जनप्रतिनिधि कोरोना के कर्मवीर, और आमजन के लिए क्या कर रहे हैं। यह जानने के लिए पत्रिका फोरम के माध्यम से हम जनप्रतिनिधियों से कोरोना महामारी से निपटने की उनकी तैयारियां और विचार जान रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को चूरू विधायक व उपनेता राजेन्द्र राठौड़ से लाइव चर्चा व सवाल किए। उन्होंने कहा कि हमारे पास भले ही संसाधनों की कमी हो लेकिन नियमों के दायरे में रहकर इस महामारी से न केवल चूरू बल्कि पूरा प्रदेश व देश जीतेगा। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-
सवाल: लॉक डाउन में आपकी दिनचर्या कैसे बदली
जवाब: कोरोना महामारी के दौर में न केवल मेरे बल्कि आमजन के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आया है। दिनभर मेला लगा रहता था लेकिन अब वीरानी छाई हुई है। आज हर व्यक्ति कोरोना को मात देने के लिए अपनी भूमिका निभा रहा है। जीवन का अंदाज निराला था लेकिन कोरोना के कारण मन भटकता
रहता है।
सवाल: इस महामारी से निपटने के लिए आपने क्या सहायता दी
जवाब: चूरू के लिए मास्क व सैनेटाइजर के लिए एक लाख रुपए की राशि दी थी। इसके आलवा भामाशाहों व दोस्तों के माध्यम से जनता की सेवा की जा रही है।
सवाल: श्रमिकों पर रोजी रोटी का संकट है। आपके व्यक्तिगत प्रयास क्या है।
जवाब: श्रमिकों की चिंता है। इसके लिए विधायक कोटे से दो हजार लोगों को राहत सामग्री भिजवाई है। इसमें जाती, धर्म नहीं देखा गया है। इसके अलावा भामाशाहों के सहयोग से भी राशन सामग्री भिजवाई है।
सवाल: सरकारों ने स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान क्यों नहीं दिया
जवाब: देश में बजट का 3.8 फीसदी पैसा ही स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होता है। जरूरत इस बात की है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर नए सिरे से ध्यान देना पड़ेगा। मन में पीड़ा है कि स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर सुधार नहीं कर पाए।
जनता के सवाल
सवाल: चिकित्सकों के पास संक्रमण से लडऩे के लिए पीपीई किट नहीं है।
जवाब: भारत सरकार ने 50 हजार पीपीई किट राजस्थान को मिले हैं। इसके अलावा एक लाख एन-95 मास्क दिए हैं। दो लाख ट्रिपल लेयर मास्क दिए हैं। इस पर तीन करोड़ 71 लाख 15 हजार रूपए की स्वीकृति राजस्थान सरकार को दी है। चिकित्सक योद्धा के रूप में डटे हैं।
सवाल: चूरू में इस प्रकार की सेवाओं को शुरू करने की योजना है।
जवाब: फिलहाल हमारे पास जितने भी संसाधन है। उसी में हमे संतोष करना पड़ेगा। इस पर विचार किया जा रहा है कि सुविधाओं में विस्तार हो और चूरू में ही लोगों को स्वास्थ्य मिल सके।