जी,हां। यही सच है। रेलवे ने भले लॉकडाउन के दौरान रददीकरण शुल्क नहीं लेने की बात कही हो लेकिन अब वह पूरी तरह से इससे मुकारता हुआ दिखाई दे रहा है। 14 अप्रैल को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया तो रेलवे ने भी इस अवधि में ट्रेनों के संचालन को बंद रखने की घोषणा कर दी। लेकिन इस दौरान यात्रा के लिए करीब 39 लाख टिकट बुक कराए गए थे।
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IRCTC की ओर से बाकायदा बयान जारी हुआ, कहा गया कि 3 मई तक के लिए कैंसल हुई ट्रेनों के टिकट ऑटोमैटिकली कैंसल हो जाएंगे और उनका पूरा रिफंड टिकट बुक कराने वाले के बैंक अकाउंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
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IRCTC ने एक बयान में साफ बताया था कि यात्रियों को फुल रिफंड मिलेगा और किसी तरह का कैंसलेशन या क्लर्केज चार्ज वसूल नहीं किया जाएगा। इसमें ये जानकरी भी दी गई थी कि अभी टिकटों की अडवांस बुकिंग बंद रहेगी। इसके बाद लोगों के मोबाइल पर भी इस तरह के मैसेज आने शुरू हुए जिसमें 3-4 दिन में पैसा रिफंड होने की बात कही गई थी। लेकिन जब बैंक में पैसा जमा होने का मैसेज आया तो वो पूरा नहीं था। IRCTC ने इसमें से अपनी कन्वीनियंस फीस काट ली थी।
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दरअसल, आईआरसीटीसी ने जिन टिकटों को कैंसल किया है, उनमें से नॉन-एसी क्लास के लिए 15 रुपये, एसी और फर्स्ट क्लास टिकटों पर कन्वीन्यन्स चार्ज के रूप में 30 रुपये की कटौती की गई है। इसके अलावा, हर कैंसल टिकट पर उसने पेमेंट गेटवे चार्ज भी वसूल किया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों को गुस्सा फूट पड़ा।
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कई लोगों ने ट्विटर पर IRCTC को टैग करते हुए अपना पूरा पैसा रिफंड करने की मांग की। रेलवे से भी इसमें हस्तक्षेप की गुहार लगाई गई। लोगों का कहना था कि जब रेलवे ने खुद ट्रेनें कैंसल की हैं तो वो कन्वीनियंस चार्ज कैसे वसूल कर सकता है।
आईआरसीटीसी के एक अधिकारी ने बताया जब कोई ट्रेन कैंसल होती है तो यात्रियों को पूरा रिफंड दिया जाता है और कन्वीन्यन्स फी के नाम पर बेहद मामूली रकम काटी जाती है। इस रकम का इस्तेमाल वेबसाइट के मेंटनेंस में होता है, जिसपर रोजाना 32 लाख रुपये और सालाना लगभग 125 करोड़ रुपये का खर्च आता है।
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आईआरसीटीसी प्रवक्ता ने इसे जायज ठहराते हुए कहा कि आईआरसीटीसी लोगों को कहीं से भी टिकटें बुक करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके लिए आईआरसीटीसी बेहद मामूली रकम चार्ज करती है, जो नॉन एसी टिकट के लिए 15 रुपये, एसी और फर्स्ट क्लास टिकट के लिए 30 रुपये है। एक सिंगल टिकट पर छह यात्री तक यात्रा कर सकते हैं और शुल्क का निर्धारण टिकट से होता है, न कि पैसेंजर्स की संख्या से।' लेकिन IRCTC की ये सफाई लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाई। लोगों ने तो रेलवे पर घोटाले का आरोप लगा दिया।
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कई लोगों ने कहा है कि अगर रेलवे ने प्रति टिकट 18 रुपये की भी कटौती की है तो उसने कुल 39 लाख टिकटें कैंसल की है। इस तरह रेलवे ने इससे ही 39,00,000x18=7,02,00,000 यानी 7 करोड़ की कमाई की है। क्या यह घोटाला नहीं है?'