निर्भया गैंगरेप केस में फांसी में हो रही देरी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा के मामलों के लिए गाइडलाइन तय की है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गई गाइडलाइन इस प्रकार से है. अगर कोई हाईकोर्ट किसी को मौत की सजा देने की पुष्टि करता है और सुप्रीम कोर्ट इसकी अपील पर सुनवाई की सहमति जताता है तो 6 महीने के भीतर मामले को तीन जजों की पीठ में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा. गाइडलाइन में कहा गया है कि मामले के सूचीबद्ध होने के बाद सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री इस संबंध में मौत की सजा सुनाने वाली अदालत को इसकी सूचना देगी. इसके 60 दिनों के भीतर केस संबंधी सारा रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट भेजा जाएगा या जो समय अदालत तय करे उसका पालन होगा. अगर इस संबंध में कोई अतिरिक्त दस्तावेज या स्थानीय भाषा के दस्तावजों का ट्रांसलेशन देना है तो वो भी दिया जाएगा. गाइडलाइन के मुताबिक, रजिस्ट्री पक्षकारों को अतिरिक्त दस्तावेज के लिए 30 दिन का और समय दे सकती है. अगर निश्चित समय में ये प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो मामले को रजिस्ट्रार के पास नहीं बल्कि जज के चेंबर में सूचीबद्ध किया जाएगा और जज चेंबर में ही विचार कर आदेश जारी करेंगे.