गृह मंत्रालय की ओर से लोकसभा में पेश आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान के तीन हज़ार से ज़्यादा लोगों को भारत की नागरिकता दी गई है. सरकार बता चुकी है कि नागरिकता क़ानून में संशोधन होने के बाद भी महज़ 31 हज़ार लोगों को नागरिकता मिलने वाली है. ऐसे में एक विवादित क़ानून लाने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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