Ancient Temple Rajgir प्राचीन शिव मंदिर राजगीर

Bihar Darshan 2020-01-11

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बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर
Ancient Shiv Temple Rajgir प्राचीन शिव मंदिर राजगीर
praacheen shiv mandir


Rajgir Mahadev Temple is a ruined temple in Bihar. This temple is located in Rajgir or Rajagriha.

Dedication of Rajgir Mahadev Temple
Rajgir Mahadev Temple is a ruined temple dedicated to Lord Shiva or Mahadeva.

Architecture of Rajgir Mahadev Temple
Rajgir Mahadev Temple consists of a small sanctum (garbhagriha) about 3.5 metres square internally. The sanctum of Rajgir Mahadev Temple has a flat roof and enshrines a small linga, a headless bull and a miniature sikhara. The doorway of Rajgir Mahadev Temple is flanked by two female figures and sculptured stone slabs with the pot-and foliage design. In front of the sanctum of Rajgir Mahadev Temple there originally stood a mandapa, of which the granite pillars, arranged in six rows of five each, are still standing. The enclosure wall of Rajgir Mahadev Temple is a later addition to preserve the pillars and shows two different periods of construction, the original one being moulded and the later repairs without any architectural features. The later wall of Rajgir Mahadev Temple also projects about 8 metres to the east o the original one; the additional space thus enclosed beam filled with earth and debris. At the same time, the door of Rajgir Mahadev Temple at the entrance was narrowed down from a width of 3.65 metres to 1.2 metres. The original door-jambs of Rajgir Mahadev Temple are still indicated by two pillars, embedded within the later brickwork.
वैभारगिरि पर्वत पर बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर के महात्म्य के प्रचार-प्रसार की दरकार


ठ-मंदिरों की नगरी राजगीर भारत में पौराणिक महत्व के आध्यात्मिक स्थलों में शुमार है। जहां के पंच पर्वतों पर विभिन्न धर्मों के मठ मंदिरों की भरमार है। उनमें से सबसे अद्भूत और अनोखा है, राजगीर की पंच पहाड़ियों में पांचवीं पहाड़ी वैभारगिरि पर्वत पर स्थित बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर। जिसे अनेक पुराणों वेद ग्रंथों में युगों के आधार पर अलौकिक और मनोवांछित बताया गया है। जिसमें सम्राट जरासंध के पिता राजा बृहद्रथ ने संतान रत्न की चाह में इस पर्वत पर बाबा सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर की स्थापना की थी। यह मंदिर वर्तमान में हर शिवभक्तों के मन में एक महान आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में जगह बना ली है। जहां बाबा नगरी देवघर से भी राजगीर श्रावणी मेले में पहुंचने वाले कांवरियों का जत्था इस पर्वत की चढ़ाई कर मंदिर के शिवलिग का जलाभिषेक करते हैं। और मनोवांछित फल की कामना करते हैं। सावन माह में यह धार्मिक तीर्थ स्थल और भी अलौकिक बन जाती है।



श्रावणी माह सह मेले मे यहां का महत्व किसी धाम से कम नहीं होता। जहां लाखों की संख्या मे श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। मगर इन दिनों इस पर किसी का ध्यान नहीं होने से इस मंदिर का अस्तित्व खतरे की चपेट मे है।

मंदिर के शिवलिग की उत्पत्ति कैसे हुई:-
री राजगृह तपोवन कुंड रक्षार्थ तीर्थ पुरोहित समिति के सचिव विकास कुमार उपाध्याय बताते हैं। कि श्रीमद्भागवद्गीता मे जिक्र है कि सतयुग मे भगवान ब्रह्मा के पुत्र राजा वसु ने जब मलमास को शुद्ध करने के क्रम मे

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