राजस्थान के 10 जिलों के 6364 गांवों में टिडि्डयों ने कर दी फसलें बर्बाद

DainikBhaskar 2020-01-07

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जोधपुर. भारत और पाकिस्तान की सीमाओं पर हमेशा तनाव बना रहता है। लेकिन, इन दिनों पश्चिमी राजस्थान में भारत और पाकिस्तान के सीमावर्ती जिले एक ही समस्या से जूझ रहे हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में और पश्चिमी राजस्थान के 10 जिलों के 6364 गांवों में टिडि्डयों ने हमला करके फसलें बर्बाद कर रहे हैं। भारत में प्रशासन ड्रोन व अन्य संसाधनों से केमिकल छिड़ककर टिडि्डयों को मारने में जुटा है, वहीं पाकिस्तान ने इस समस्या से निपटने के लिए सऊदी अरब और चीन से मदद मांगी है।





मध्य पूर्व में पनपा टिड्डियों का दल पाकिस्तान होते हुए सरहदी जिलों में करोड़ों की फसलों को चट कर चुका है। टिडि्डयों के हमले ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। वहीं सिंध प्रांत में करोड़ों टिडि्डयां अंडे देने की तैयारी में है। यदि इन अंडों से एक बार फिर टिडि्डयां निकल पड़ी तो भारत में हालात बड़े विकट हो जाएंगे। टिड्डी से राजस्थान के 32 में से 10 जिलों के 6364 गांव प्रभावित है। केंद्र सरकार के टिड्डी चेतावनी संगठन विभाग की भी 26 साल बाद हुए टिड्डी हमले से तैयारियों की पोल खुल गई है। छह माह से न टिड्डी नियंत्रण हुई और न ही किसानों की फसलों को बचा पाए।





किसानों ने संभाला मोर्चा

6 माह से बाड़मेर सहित प्रदेश के दस जिलों में टिड्डी का लगातार हमला है। किसान लगातार सरकारों से टिड्डी नियंत्रण की मांग कर रहे हैं, लेकिन टिड्डी नियंत्रण विभाग, कृषि विभाग और केंद्र व राज्य सरकार टिड्डी नियंत्रण में फेल साबित हो रही है। समस्या का विकराल रूप देखते हुए किसानों ने एकत्र हो सरकारी मशीनरी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने पूरे संसाधन झोक दिए है। जैसलमेर के नहरी क्षेत्र में टिड्डियों का खात्मा करने के लिए सुमिटोमो केमिकल कम्पनी ने दो ड्रोन उतारे है। इन दोनों ड्रोनों की मदद से टिड्डियों पर नियंत्रण करने का प्रयास किया जा रहा है। एक ड्रोन 1 मिनट में 3 बीघा जमीन पर स्प्रे कर सकता है और स्प्रे के बाद टिड्डियाँ कुछ ही देर में वहीं पर ढेर हो जाती है। स्प्रे में जापान की मियोथ्रीन नामक दवाई का उपयोग किया जाता है जिसका असर टिड्डियों पर तुरंत होता है।





नुकसान के आकलन में लगेगा समय

टिडि्डयों ने कितना नुकसान पहुंचाया है इसकी सटीक जानकारी राज्य सरकार की ओर से कराई जा रही गिरदावरी की रिपोर्ट के बाद ही मिल पाएगी। टिड्‌डी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद गत सप्ताह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गिरदावरी करने के आदेश जारी किए थे। यह काम अब शुरू होगा। इसके आधार पर राज्य सरकार मुआवजा देगी।





26 वर्ष पहले हुआ था टिडि्डयों का बड़ा हमला

सरहदी बाड़मेर जैसलमेर में 26 वर्ष पूर्व 1996 में टिडि्डयों ने बड़ा हमला बोला था। उस समय भी टिडि्डयों ने इन दोनों जिलों सहित आसपास के जिलों में भारी तबाही मचाई थी। करीब पांच माह के लगातार प्रयास के बाद इन पर काबू पाया जा सका था।





अपने वजन से ज्यादा खाती है फसल

सामान्यतया डेजर्ट टिड्‌डी अपने वजन से कही अधिक भोजन एकदिन में चट कर जाती है। हरी पत्तियां, उस पर लगे फूले, फसल के बीज आदि टिड्‌डी के पसंद के भोजन है. यह जिस पौधे पर बैठ जाती है उसे पूरी तरह से साफ कर देती है। टिड्‌डी के उड़ने की रफ्तार भी बहुत होती है। यह एक दिन में सौ से दो सौ किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। टिडि्डयां कभी अकेले में नहीं रहती। ये लाखों के समूह में आगे बढ़ती है। तूफानी हवा में ही इनका समूह बिखरता है। इसके अलावा ये एकजुट होकर आगे बढ़ हमला बोलती है।





अब तक टिडि्डयों के बड़े हमले

मानव सभ्यता और टिडि्डयों के हमले का सदियों पुराना नाता रहा है। यहां तक कि कुरान व बाइबिल में भी इनका जिक्र है। टिडि्डयों के हमले के कारण इथोपिया हमेशा अकाल से त्रस्त रहता आया है। टिडि्डयों के चर्चित हमले वर्ष 1926 से 1934, 1940 से 1948, 1949 से 1963, 1967 से 1969, 1987 से 1989 व 2003 से 2005 के दौरान हुए। बरसों तक चले इन हमलों से प्रभावित देशों में खाद्यान का संकट खड़ा हो गया था।

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