हेमंत सोरेन ने 11वें मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के गठबंधन की सरकार है।
हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति में बड़ा नाम हैं। वे झारखंड के कद्दावर नेताओं में माने जाते हैं। हेमंत सोरेन ने दुमका और बरहेट सीट से चुनाव लड़ा था।
लेखक के रूप में प्रेमचंद को पसंद करने वाले हेमंत सोरेन नए युग की टेक्नोलॉजी को पसंद करते हैं और नेट सर्फिंग करना उन्हें अच्छा लगता है। उनके दो बेटे हैं, उनका नाम निखिल और अंश हैं।
उनकी पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल का संचालन करती हैं। हेमंत सोरेन ने कांग्रेस और आरजेडी के साथ झारखंड चुनाव के लिए इस बार महागठबंधन बनाया, जो कि सफल रहा।
मां बनना चाहती थीं इंजीनियर : हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ में हुआ था और बोकारो से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद पटना विश्वविद्यालय से 1994 में उन्होंने इंटर पास किया।
मां रूपी सोरेन उन्हें इंजीनियर बनाना चाहती थीं, लेकिन उनके भाग्य में कुछ और ही लिखा था। हेमंत ने 12वीं तक ही पढ़ाई की और फिर इंजीनियरिंग में दाखिला तो लिया मगर बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी।
राजनीति में पदार्पण : 2003 में उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2003 में राजनीति में पदार्पण करते हुए वे झारखंड छात्र मोर्चा के अध्यक्ष बने। उन्होंने पिता शिबू सोरेन को केन्द्र की सरकार में शामिल होते, झारखंड में तीन बार मुख्यमंत्री बनते तथा पद से उतरते देखा। इससे हेमंत सोरेन का राजनीतिक अनुभव मजबूत हुआ।
बने मुख्यमंत्री : हेमंत 24 जून 2009 से 4 जनवरी 2010 तक राज्यसभा सांसद भी रहे और फिर पहली बार 23 दिसंबर 2009 को दुमका से विधायक चुने गए। 11 सितंबर 2010 को राज्य में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी सरकार में हेमंत को उपमुख्यमंत्री का पद मिला।
हालांकि जनवरी 2013 को झामुमो की समर्थन वापसी के चलते बीजेपी के नेतृत्व वाली अर्जुन मुंडा की गठबंधन सरकार गिरी थी। 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखंड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।