Reply to Varun Grover's Poem - 'Hum Kagaz Nahi Dikhayenge'

Swar Sagar 2019-12-27

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Poem in support of # CAA #CAB #NRC #My First Poem

'TUM KAGAZ KYON NAHI DIKHAOGE'

घुसपैठिये आके बस जाएंगे
और नकली कागज़ बनवाएंगे
जिहाद और आतंक फैलाएंगे
हिन्दुस्तानियों को मरवाएँगे

फिर भी बिरयानी हम खिलाएंगे
मीठी चाय भी उनको पिलाएंगे
वो फत फत फत फ़तवा करेंगे
फिर भी हम स्वैग से उनका स्वागत करेंगे

वो चाहे बस जलवा दे या जलवा दे इस देश को
हम फिर भी उनके नकली कागज़ को
असली बनवाके छोड़ेंगे

अरे मत भूलो कैसे किया है हासिल हमने इस देश को
राम प्रसाद जैसो ने खून दिया तब जाके मिली है आज़ादी इस मिटटी को
मिटटी तो आज़ाद हुई पर फिर भी बटा ये बिस्मिल क्यों
अब बट ही गया ये इंसान तोह कर लेने दो सुरक्षित अपने देश को

तानाशाह तो आके जाएंगे
पर निडर लीडर कम ही आएँगे
अब आ ही गया है एक सच्चा लीडर
तो कर दो हवाले इस वतन को

संविधान तोह बच ही जायेगा
पहले होने दो सुरक्षित अपने देश को
ना पुलिस की लट्ठ पड़ेगी ना रुकेगी ये मेट्रो
जब तुम पैदल आओगे और अहिंसा को अपनाओगे

तुम कागज़ नहीं दिखाओगे
तो कैसे देश सुधारोगे
जन गण मन तो गालोंगे पर टोकोगे भारत भाग्य विधाता को

जात पात से कैसे बटेगा
जब कोई भी देशवासी नहीं कटेगा
क्यों फैलाना ऐसे झूट को
जब पता नहीं पूरी सच्चाई जो

कागज़ तो तुम्हे दिखाना ही होगा
मंजी जो तुम्हे यहाँ बिछानी है
ऐसे ही भारत देश नहीं बढ़ेगा
देना तो पड़ेगा कुछ क़ुर्बानियों को.

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