कर्म का सिद्धांत अपरिवर्तनशील है । कुछ सीमा तक यह न्यूटन की गति के तीसरे सिद्धांत के समान है, जो यह बोध कराता है कि ‘प्रत्येक क्रिया की समतुल्य और विपरीत प्रतिक्रिया होती है । (For every action there is an equal and opposite reaction.)’
जीवन की संपूर्ण यात्रा में हम किसी पुराने लेन-देन को चुका रहे होते हैं अथवा कोई नया लेन-देन बना रहे होते हैं । यह लेन-देन यदि इस जन्म में पूरा नहीं हुआ, तो उसे दूसरे जन्म में पूरा करना पडता है । इसे ही प्रारब्ध कर्म कहते है जो हमारे पुनर्जन्म का कारण है.. इस वीडियो में हम कर्म केअकाट्य सिद्धांत के द्वारा पुनर्जन्म के तथ्य को समझेंगे ।
#theechoofsprituallife
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