अलिफ लैला की कहानी अरब देश की एक प्रचलित लोक कथा है जो पूरी दुनिया में सदियों से सुनी व पढ़ी जाती रही है। 'अलिफ लैला' भारत में अपने अरबी नाम "अल्फ लैला" के प्रचलित बिगड़े हुए रूपके नाम से अधिक जाना जाता है। अरबी में अल्फ का अर्थ है एक हजार और लैला का अर्थ है रात।
यह हज़ार कहानियों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है, जिसमें प्रत्येक कहानियां एक फूल की तरह है। इन कहानियों में प्यार, सुख, दुःख, दर्द, धेखा, बेवपफाई, ईमानदारी, कर्तव्य, भावनाएं जैसे भावों का अद्भुत संतुलन है, जिसको पाठकों और श्रोताओं को हमेशा लुभाया है।
दसवीं शताब्दी ईस्वी के अरब लेखक और इतिहासकार मसऊदी के अनुसार अल्फ लैला की कथामाला का आधार फारसी की प्राचीन कथामाला 'हजार अफसाना' है। अल्फ लैला की कई कहानियाँ जैसे 'मछुवारा और जिन्न' 'कमरुज्जमा और बदौरा' आदि कहानियाँ सीधे 'हजार अफसाना' से जैसी की तैसी ली गई हैं।
अलिफ लैला एक ऐसी नवयुवती की कहानी है, जिसने एक ज़ालिम बादशाह से विवाह करने के बाद न केवल उसका हृदय परिवर्तित कर दिया, अपितु अनेक नवयुवतियों का जीवन भी बचा लिया।
इस कथा के अनुसार, बादशाह शहरयार अपनी मलिका की बेवपफाई से दुःखी होकर उसका और उसकी सभी दासियों का कत्ल कर देता है और प्रतिज्ञा करता है कि रोजाना एक स्त्री के साथ विवाह करूंगा और अगली सुबह उसे कत्ल कर दूंगा।
बादशाह के नफऱत से उत्पन्न नारी जाति के प्रति इस अत्याचार को रोकने के लिए बादशाह के वजीर की पुत्री शहरजाद उससे शादी कर लेती है। वह किस्से-कहानी सुनने के शौकीन बादशाह को विविध् प्रकार की कहानियां सुनाती है, जो हज़ार रातों में पूरी होती है। कहानी पूरी सुनने की लालसा में बादशाह अपनी दुल्हन का कत्ल नहीं कर पाता और उसे अपनी बेगम से प्यार हो जाता है। अपनी बेगम की बुद्धिमिता से प्रभावित बादशाह औरतों के प्रति अपने मन में उत्पन्न नफऱत को खत्म करने के अलावा अपनी प्रतिज्ञा भी तोड़ देता है और अंत में अपनी बेगम के साथ हंसी-खुशी रहने लगता है।