वीडियो जानकारी:
हार्दिक उल्लास शिविर
२२ सितंबर, २०१९
अहमदाबाद, गुजरात
प्रसंग:
पुनरपि जननं पुनरपि मरणं पुनरपि जननी जठरे शयनम् ।
इह संसारे बहुदुस्तारे कृपयाऽपारे पाहि मुरारे ॥
~भजगोविन्दम , श्लोक संख्या २१
जीवन ओर मृत्यु के खेल को कैसे समझें?
क्या जीवन ओर मृत्यु असली हैं?
असली मुक्ति कब है?
संगीत: मिलिंद दाते