वीडियो जानकारी:
विश्रांति शिविर
६ अक्टूबर, २०१९
मुंबई, महाराष्ट्र
प्रसंग:
र्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार।
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।।
-संत कबीर-
मनुष्य जीवन - अवसर या सज़ा?
हम अपने जीवन को अवसर कैसे बनाएं?
क्यों ज़्यादातर लोग इसको एक सज़ा की तरह झेलते हैं?
संगीत: मिलिंद दाते