स्वीकृति की चाह और नियन्त्रण का भाव || आचार्य प्रशांत (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
४ मई, २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
स्वीकृति, मान्यता हमारे लिए इतना महत्व क्यों रखती है?
मन हर चीज़ को अपने वश में क्यों करना चाहता है?
मन में स्वीकृति की इतनी चाह क्यों होती है?

संगीत: मिलिंद दाते

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