वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
११ मार्च २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
पंक्ति:
या नगरी में लख दरवाज़ा, बीच समन्दर घाट रे||
प्रसंग:
क्या मुक्ति का कोई द्वार है?
मुक्ति की चाह क्यों उठती है? '
घाट' का मतलब बताया है कबीर ने?
'मन' और 'घट' में क्या समानताएं हैं?