वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१२ मई, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
कहता हूँ कहि जात हूँ, कहा जु मान हमार ।
जाका गल तुम काटिहो, सो फिर काटि तुम्हार ।। (संत कबीर)
प्रसंग:
कब हटेगी हिंसा?
"कहता हूँ कहि जात हूँ, कहा जु मान हमार ।
जाका गल तुम काटिहो, सो फिर काटि तुम्हार" || कबीर साहब इस दोहे में क्या बताना चाह रहे है?
हिंसा क्या है?
असली में हिंसा का जड़ क्या है?
जीवन से हिंसा कैसे कम करें?
क्या हिंसा करना अपराध है?
क्या शरीर से कुछ करना ही सिर्फ हिंसा है?
हिंसा का सही अर्थ क्या है?
शारीरिक हिंसा और मन की हिंसा में क्या भेद है?
हमें मन की हिंसा पता क्यों नहीं चल पाती है?
हिंसा कितने प्रकार के होते है?