कुर्बानी है छोड़ने पाने का व्यपार,छोड़ा कम पाया ज़्यादा और पाया अहंकार || आचार्य प्रशांत (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१ नवम्बर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसग:
दूसरे की सहायता कैसे करें?
ऐसा विचार क्यों आती है कि दूसरे के खुशी के लिए अपना जीवन कुर्वान कर दूँ?
कुर्बानी है छोड़ने पाने का व्यपार,छोड़ा कम पाया ज़्यादा और पाया अहंकार
कुर्बानी करने योग्य क्या है?

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