वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२० सितम्बर २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
वो सही प्रश्न क्या हैं जिससे "मै" की भाव मिट जाय?
अपूर्ण पूर्ण के रूप में भी अपनी अपूर्णताओं को ही चाहेगा
क्या परम को चाह कर पाया जा सकता है?
अहँकार और ममंकार दोनों अपनी वृद्धि में क्यों लगी रहती हैं?
क्या सत्य को पाया जा सकता हैं?