वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र
१६ अप्रैल, २०१४
के.ई.सी, ग़ाज़ियाबाद
प्रसंग:
व्यक्तिगत (इंडीविजिवल) का क्या मतलब हैं?
कब हम व्यक्तिगत (इंडीविजिवल) होते है?
क्या व्यक्तिगत (इंडीविजिवल) होना संभव है?
क्या भविष्य के सपने व्यक्तिगत (इंडीविजिवल) से ही मिल सकती हैं?
संगीत: मिलिंद दाते