जीत में जीते नहीं, न हार में हारे || आचार्य प्रशांत (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
३ सितम्बर, २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
किसी को अपना बात नहीं समझा पता हूँ इसमें मेरा कहा चूक है?
हार-जीत कैसे खत्म करें?
क्या हार-जीत होने के कारण जीवन में दुःख है?
हार-जीत के पार कैसे जाएँ?
क्या कभी-कभी हार-जीत स्वीकार कर लेनी चाहिए?
क्या हार-जीत के पार भी कुछ है?

संगीत: मिलिंद दाते

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