वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
६ जुलाई २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
चिंता तो हरिनाम की, और न चिंता दास |
जो कुछ चितवें राम बिन, सोइ काल को पास || (गुरु कबीर)
प्रसंग:
चिंता माने क्या?
मन की सही दिशा कौन सी?
मौत का डर क्यों लगता है?
संगीत: मिलिंद दाते