कभी रंग कभी धूप कभी धूमिल मैदान है,बदलते मौसमों में भी आसमान तो आसमान है || आचार्य प्रशांत (2015)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२० सितम्बर, २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
मन अनेक चीजों में खोया रहता हैं क्या करूँ?
मिटने के डर हमेशा क्यों सताता रहता है?
मन अशांत क्यों हो जाता है?
मन को कैसे सुलझाएं?
सही जीवन कैसे जीएं?
मन की उलझन को कैसे मिटाएँ?
मनुष्य के मन में उलझन क्यों रहती है?
मन की समस्याओं को कैसे दूर करें?
मन सच्चाई से डरता क्यों है?
अपनी प्रभावशाली छवि कैसे स्थापित करें?
छवि बनाना आवश्यक हैं क्या?
दूसरे को प्रभाव दिखाना कितना जरुरी हैं?

संगीत: मिलिंद दाते

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