तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है || आचार्य प्रशांत: जहाँ भी जाऊँ ये लगता है तेरी महफ़िल है

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शब्दयोग सत्संग
१३ जून, २०१८
अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा

गीत: तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है

तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है

जहाँ भी जाऊँ ये लगता है, तेरी महफ़िल है

ये आसमान ये बादल ये रास्ते ये हवा

हर एक चीज़ है अपनी जगह ठिकाने पे

कई दिनों से शिकायत नहीं ज़माने से

ये ज़िंदगी है सफ़र तू सफ़र कि मंज़िल है, जहाँ भी …

तेरे बगैर जहाँ में कोई कमी सी थी

भटक रही थी जवानी अंधेरी राहों में

सुकून दिल को मिला आ के तेरी बाहों में

मैं एक खोई हुई मौज हूँ तू साहिल है, जहाँ भी …

तेरे जमाल से रोशन है कायनात मेरी

मेरी तलाश तेरी दिलकशी रहे बाकी

खुदा करे की ये दीवानगी रहे बाकी

तेरी वफ़ा ही मेरी हर खुशी का हासिल है, जहाँ भी …

गीत: तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है (Tu Is Tarah Se Meri Zindagi Mein)
फ़िल्म: आप तो ऐसे न थे (Aap to aise na the)
बोल: निदा फ़ाज़ली (Nida Fazli)
संगीतकार: मोहम्मद रफ़ी, मनहर, हेमलता (Mohammed Rafi, Manhar, Hemlata)


संगीत: मिलिंद दाते

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