क्षणिक राहत को ख़ुशी का नाम मत दो || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2012)

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वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
२८ अगस्त २०१२
एम.आई.टी, मुरादाबाद

प्रसंग:
क्या स्थाई खुशी संभव है?
मन को क्षणिक खुशी क्यों भाती है?
क्या सुख और दुःख दोनों एक ही गाड़ी के दो पहिये है?

संगीत: मिलिंद दाते

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