वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२० अक्टूबर २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दैव कभी कुछ नहीं करता,
ये कल्पना मात्र है कि दैव ही सब कुछ करता है।
~ योगवाशिष्ठ सार
जब तक किसी पर परम सत्ता की अनुकम्पा न हो,
वाह सच्चे गुरु व सही को प्राप नहीं हो सकता।
~ योगवाशिष्ठ सार, प्रथम अध्याय, श्लोक ३
प्रसंग:
आध्यात्मिक लक्ष्य हेतु प्रयास ज़रूरी या नहीं?
प्रयास का क्या आशय है?
सत्य की प्राप्ति के लिए कर्म अच्छा हैं या बुरा?
परम सत्ता की अनुकम्पा कैसे मिले?
डर से उठा हुआ प्रयास कैसा प्रयास होता है?