दुनिया से पाने की लालसा में तुम वास्तविक से दूर हो जाते हो || आचार्य प्रशांत (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२८ जून २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
दुनिया से पाने की लालसा हमेशा क्यों बानी रहती हैं?
दुनिया में पाने लायक क्या है?
मन सुविधाओं में क्यों जीना चाहता है?
हम अपनी थोड़ी से सुविधाओं के लिए अपनी आजादी क्यों खो देते हैं?

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