बँधा मन बँधा जीवन, बँधा व्यवहार बँधे रिश्ते और संसार || आचार्य प्रशांत (2013)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२५ दिसम्बर २०१३
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
जीवन में हमारी सारी चीजे बँधा- बँधाया क्यों है?
हमारे रिश्ते-नाते, हमारे व्यवहार, हमारे संसार सब बँधे क्यों है?
हमें अपने स्वभावो में क्यों नहीं जीते है?

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