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बँधा मन बँधा जीवन, बँधा व्यवहार बँधे रिश्ते और संसार || आचार्य प्रशांत (2013)
आचार्य प्रशान्त
2019-11-27
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वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
२५ दिसम्बर २०१३
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
प्रसंग:
जीवन में हमारी सारी चीजे बँधा- बँधाया क्यों है?
हमारे रिश्ते-नाते, हमारे व्यवहार, हमारे संसार सब बँधे क्यों है?
हमें अपने स्वभावो में क्यों नहीं जीते है?
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