क्या जीवन में उम्मीद रखना ज़रूरी है? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)

Views 3

वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१५ अप्रैल २०१४
एम.आई.टी, मुरादाबाद

प्रसंग:
"दुनिया उम्मीदों पर टिकी हैं" ऐसा क्यों कहा जाता है?
क्या जीवन में उम्मीद रखना ज़रूरी है?
क्या निराशा -आशा की विपरीत है?
"आशा ही परमं दुःखं" अष्टावक्र ऐसा क्यों बता रहे है?

संगीत: मिलिंद दाते

Share This Video


Download

  
Report form
RELATED VIDEOS