वीडियो जानकारी:
संवाद सत्र
१५ अप्रैल २०१४
एम.आई.टी, मुरादाबाद
प्रसंग:
"दुनिया उम्मीदों पर टिकी हैं" ऐसा क्यों कहा जाता है?
क्या जीवन में उम्मीद रखना ज़रूरी है?
क्या निराशा -आशा की विपरीत है?
"आशा ही परमं दुःखं" अष्टावक्र ऐसा क्यों बता रहे है?
संगीत: मिलिंद दाते