जो वचन आपसे न आए, वही मीठा है || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2016)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
९ मार्च २०१६
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय|
औरन को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय ||

प्रसंग:
"ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय" का सही अर्थ क्या है?
मीठा वचन बोलने का क्या आशय है?
क्या कबीर हलुवाई वाला मीठा की बात कर रहे है या कोई और मीठा है?
"औरन को सीतल करै, आपहुँ सीतल होय" का क्या मतलब है?
बाणी पर इतना मत्वपूर्णता क्यों दी गई है?

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