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शब्दयोग सत्संग
१७ जुलाई २०१६
रमण महर्षि केंद्र, दिल्ली
संतों के जीवन की घटनाएँ नहीं उनके पीछे का सत्य देखो। ऊपर-ऊपर का देखोगे तो ऊपर-ऊपर में उलझ के रह जाओगे। मीरा के भजन लोग गा रहें हैं, मीरा से बेहतर गा रहें हैं पर मीरा नहीं हो गए इससे। जब आपको ज्ञान बहुत हो जाता है तो आप नकल करना शुरू कर दोगे।
~ आचार्य प्रशांत जी
प्रसंग:
संतों की जीवनी से क्या सीखें?
संतों के जीवन के विषय में कितना ज्ञान एकत्रित करना चाहिए?
संतों के व्यक्तित्व के प्रति जिज्ञासा कितनी अर्थपूर्ण है?
संतों का व्यक्तित्व नहीं, सार देखो का क्या आशय हैं?
क्या संत के नीजि जीवन देखना उचित हैं या नहीं?
क्या संतो के वचनों को नक़ल करना चाहिए?
संतों के व्यक्तित्व के प्रति जिज्ञासा कितनी अर्थपूर्ण है?
संगीत: मिलिंद दाते