तुम ही सुख-दुःख हो || आचार्य प्रशांत, संत दादू दयाल पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१५ अक्टूबर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
जिसकी सुरति जहाँ रहै, तिसका तहाँ विश्राम ।
भावै माया मोह मैं, भावै आतम राम ॥ (संत दादू दयाल)

प्रसंग:
सुख और दुःख माने क्या?
कैसे सुख-दुःख से मुक्त हुआ जा सकता है?
आत्मा माने क्या?
आत्मा की ओर कैसे बढ़ा जाए?

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