संसार बीतता देखकर भी संसार समझ नहीं आता? || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

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वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
४ मई २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहे:
कबिरा नौबत आपनी, दिन दस लेहु बजाय |
वह पुर पट्टन यह गली, बहुरि न देखौ आय || (संत कबीर)

प्रसंग:
संसार क्या है?
क्या है सत्य?
संसार बीतता देखकर भी संसार समझ नहीं आता?
मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सत्य है, यह जानने के बाद भी मनुष्य चेतता क्यूँ नहीं?

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