आदमी इतना बेचैन क्यों है? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2014)

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वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१४ जून, २०१४
आई.आई.एम.टी कॉलेज, ग्रेटर नॉएडा

दोहा:
चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए ।
वैद बेचारा क्या करे, कहा तक दवा लगाए ॥ (गुरु कबीर)

प्रसंग:
आदमी इतना बेचैन क्यों है?
क्या इंसान की चाह ही उसकी बेचैनी है?
क्या ईश्वर ने इंसान को बेचैन बनाया?
जीवन ऊबाऊ क्यों लगता है?
मन बहुत उदास और अशांत क्यों रहता है?
जीवन बासी और ऊब से भरा क्यों लगता है?
जीवन में उदासी क्यों छाई हुई है?
ऊब, डर और अकड़ में क्या सम्बन्ध है?
क्या चीज है जिसमे ऊब नहीं है?

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