तुम्हारी जिंदगी में तुम कितने हो? || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2013)

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वीडियो जानकारी:

संवाद सत्र
१ अक्टूबर, २०१३
एच.आई.ई.टी, गाजियाबाद

प्रसंग:
तुम्हारी जिंदगी में तुम कितने हो?
जिंदगी कहीं बेहोशी में तो नहीं बीती जा रही है?
हम अपने हरकतों से बाज क्यों नहीं आते है?
हम अपना समय व्यर्थ में क्यों बीता देते है?
होश में कैसे जीये?
बर्तमान में कैसे जीये?
शिक्षक और छात्र में क्या संबंध है?

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